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सच और झूठ में अंतर, जिंदगी का कड़वा सच, सच की झूठ पर जीत ।

सच और झूठ की दौड़

एक बार सच और झूठ नदी में स्नान करने पहुंचे। दोनो ने अपने-अपने कपड़े उतार कर नदी के तट पर रख दिए और झट-पट नदी में कूद पड़े। सबसे पहले झूठ नहाकर नदी से बाहर आया और सच के कपड़े पहनकर चला गया। सच अभी भी नहा रहा था। जब वह स्नान कर बाहर निकला तो उसके कपड़े गायब थे। वहां तो झूठ के कपड़े पड़े थे। भला सच उसके कपड़े कैसे पहनता? कहते हैं तब से सच नंगा है और झूठ सच के कपड़े पहनकर सच के रूप में प्रतिष्ठित है !



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