कविता: कलम तुमसे ही तो मेरा वजूद है
मेरी सुंदरता का यह एक सबूत है,
कलम: दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं
मिल जाते जब दोनों हो जाते पूरे हैं,
कविता: रंग बिरंगी सी मैं तुमसे निकलती
जब कहीं पर जाकर छप जाती हूं,
तुमसे ही दुल्हन की तरह सजकर
तारीफ अपनी सब जगह पाती हूं,
कलम: पाठकों के दिल में जब उतरती हो
तो मेहनत मेरी सफल हो जाती है ,
एक सुंदर रिश्ता हम दोनों के बीच
फिर इन भावनाओं से बन जाती है।
कविता: दोनों ने मिलकर इतिहास बनाया है
सच्चाई का पाठ मिलकर पढ़ाया है,
हर एक बेजुबान की जुबान बनकर
हक उनका सच्चाई से दिलवाया है,
कलम: बिल्कुल सही तुमने यह बात कही है
हम दोनों ही एक दूसरे की ताकत हैं,
साथ मिलकर जब हम काम करते हैं
रोकने की नहीं किसी की हिमाकत है,
कविता: तुमने हर कदम पर साथ निभाया है
तुमसे ही यह सब संभव हो पाया है,
तुम ही तो मेरी कल्पना की प्रेरणा हो
दिल से शब्द निकालती तुम चेतना हो ।
कलम: जब सुनी किसी के टूटने की आवाज़
तब तुमने दिखाया सब साफ- साफ,
जब देखा कहीं पर किसी को उदास
तो उजागर की उसकी अनकही बात,
कविता: तलवार से ज्यादा तेज तुम्हारी धार है
तुम्हारे बिना नहीं मेरा कोई आधार है ।
कलम: सच का आईना दिखाने में मददगार हो
तुमसे ही मेरा वजूद तुम्हीं मेरा प्यार हो,
अगर कविता और कलम ना होते
तो दिल के अल्फाज पन्नों पे ना उतर पाते।।
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